🎄 बबूल से मनुष्य जन्म 🎄
"कृपया चिंता ना करें,हर कदम पर आपकी मदद मार्गदर्शन और रक्षा के लिए सतगुरु हमेशा आपके साथ हैं।आप उनके प्रति सचेत हो,जाएं और उनकी लगातार मौजूदगी का अनुभव करें", विश्वास,प्रेम और नम्रता के साथ बराबर भजन सुमिरन करते रहे ।
एक अभ्यासी सत्संगी ने एक पेर की ओर इशारा करते हुए बड़े महाराज जी से पूछा,"अच्छे कर्म करने से क्या यह पेड़ भी मनुष्य देह प्राप्त कर सकता है ?
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| ( उत्त्रराखण्ड,=जब मैं पेपर देने गया था,कुछ समय घूमने भी मिला था।वही फोटो शेयर कर रहा हुं ।) |
उन्होंने उत्तर दिया,"यह ठीक है कि 8400000 लाख योनियों का सारा चक्कर पूरा करके जीव को मनुष्य देह मिलता है, परंतु सतगुरु के पास नाम की अमोलक शक्ति होती है। अगर वह किसी पेड़ का फल खा ले, उसकी छाया में बैठ जाए या किसी जानवर, जैसे की घोड़े,की सवारी कर ले, तो उसे मनुष्य देह देने की दया कर देते हैं।"
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उन्होंने फिर बताया कि 40 वर्ष पहले,एक बाप-बेटा, स्वामी जी महाराज के शिष्य थे। उन दिनों प्लेग की बीमारी फैल जाने से लड़की की मृत्यु हो गई। जब पुत्र भी मृत्यु के करीब था तो पिता रोने लग गया।
पुत्र ने पूछा,"पिताजी, आप रोते क्यों है?" पिता ने उत्तर दिया,"तुम मेरे इकलौते बेटे हो । तुम मर रहे हो इसलिए मैं रो रहा हूं। पुत्र ने शांति से उत्तर दिया,"पिता जी, मैं मर नहीं रहा बल्कि जीने जा रहा हूं।मेरे अंदर का पर्दा उठ गया है और मुझे अपने पिछले जन्म के बारे में पता चल गया है।मैं उस समय एक बबूल का पेड़ था।किसी सत्संगी ने मेरी टहनी की दातुन बनाकर स्वामी जी महाराज की सेवा में समर्पण कर दी।
उसके फलस्वरूप मुझे यह मनुष्य देह मिली है, परंतु मेरी बुद्धि जा रही है। अब मेरा किसी अच्छे परिवार में जन्म होगा और मैं परमार्थ का अभ्यास करूँगा।
बड़े महाराज ने बताया कि यह सच्ची घटना है परंतु इसी घटनाएँ बहुत कम होती है। उसी अभ्यासी सत्संगी ने दोबारा फिर पूछा, "अच्छा! पहले रूह वृक्ष में आती है,फिर किरे में और फिर?"
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बड़े महाराज जी ने उत्तर दिया,"फिर पक्षियों में, इसके बाद पशुओं में और सबसे आखिर में मनुष्य जन्म मिलता है। नियम तो यही है कि सारा 84 का चक्कर भोगकर करोड़ों वर्ष बाद मनुष्य जन्म में आए।"उन्होंने बताया कि वह उन भाग्यशाली जीवों की बात कर रहे हैं कि जिनका संतों के साथ संबंध बन जाता है; वह किसी भी योनि में हो, उनको मनुष्य जन्म मिल सकता है। चाहे उनको कर्मों का बोझ अभी भारी क्यों ना हो, मगर आसानी तो हो जाती है।
मुक्ति नाम में है। बिना नाम के जीव ऊपर सचखंड में नहीं जा सकता। नाम की कमाई सिर्फ मनुष्य शरीर में ही हो सकती है। अगर आप कहें कि पैरों, पक्षियों, पशुओं को ले जाए तो यह नहीं हो सकता, क्योंकि बिना मनुष्य शरीर के नाम कहीं जब सकते और बिना नाम की कमाई किए आंतरिक ज्ञान नहीं हो सकता और बिना आंतरिक ज्ञान या अनुभव के मुक्ति नहीं मिल सकती ।
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