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सोमवार, 22 जुलाई 2019

इस कहानी मे कही गयी बात सच है,इस कहानी को लिखने का मतलब किसी को ठेस पहूचाना नही है।

⇛⇚ भेड़ में शेर का बच्चा ⇛⇚

रूहानी जीवन व्यतीत करने का उद्देश्य यही है कि मनुष्य माया 
के आवरण से मुक्त होकर स्वयं को पहचान ले कि 
वह आत्मा है जो स्वयं चेतन है तथा महाचेतन के समुद्र का 
अंश है, ताकि वह उस महाचेतन के सागर में मिल जाए । 
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क बार एक शेरनी,बच्चे को जन्म देकर,शिकार को चली गई। पीछे से, भेड़ चराने वाला, पाली आ गया। उसने बच्चे को उठा लिया और भेड़ का दूध पिला-पिला कर उसे पाल लिया।अब वह बच्चा बड़ा हो गया ।
                        त्तफाक से एक शेर वहां आ गया। उसने देखा कि,एक शेर का बच्चा भेड़ के साथ घूम रहा है। वह उस शेर के बच्चे के पास गया और कहा कि तू तो शेर 🐯 है"_ बच्चे ने कहा, "नहीं, मैं भेड़👀 हूं।"शेर ने फिर कहा, "नही, तू  शेर है।" शेर के बच्चे ने फिर कहा नहीं,"मैं भेड़ हूं।"उस शेर ने कहा, मेरे साथ नदी 🐬पर चल। जब नदी
 के किनारे पर गए,पानी में अपनी और बच्चे की शक्ल दिखा कर कहा कि देख तेरी और मेरी शक्ल एक जैसी है। शेर का बच्चा कहने लगा, हां ! फिर शेर कहता है, मैं गरजता हूं, तू भी गरज।  शेर गरजा, साथ ही शेर का बच्चा भी गरजा। नतीजा यह हुआ कि भेड़ भी भाग गई और पाली भी भाग गया ।   
असल बात क्या है?

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  • यह जो इंद्रियां है ➼ भेड़ हैं ।
  • पाली कौन है ?  ⟶  मन है। 
मन ने इंद्रियों द्वारा इसे भ्रम मे डाल रखा है। जब कभी इसको कोई गुरु 
मिला,उसने कहा, तू आत्मा है और 

 परमात्मा की अंश है। तू अंदर जाकर अपने आप को पहचान और परख । और वह अपने आप को पहचान लेती है और मन और इंद्रियां से मुक्त हो जाती है । 

डू यू अंडरस्टैंड





















हमारे प्यार का खोखलाप

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रविवार, 21 जुलाई 2019

बातों को पूरी तरीके से समझना ही, समझदारी है

"। फकीर को गांव वालों की नसीहत ।" 

उत्तरी भारत के एक गांव में एक बुजुर्ग फकीर रहते थे। गांव के लोग अक्सर उन से सलाह लेने जाते थे। उस गांव में अचानक एक बीमारी फैल गई और गांव के सारे मुर्गे ‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌- मुर्गियां और चूजे मर गए। 🐣
    गांव वाले फकीर के पास गए और कहा, "हजरत, हमारे गांव के सब मुर्गे - मुर्गियां🐔 और छोटे-छोटे चूजे🐣 तक मर गए हैं, हम क्या करें ?
         
    फकीर ने केवल इतना ही कहा, "अच्छा हुआ, इसी से भलाई है।" कुछ दिनों बाद, कुछ ऐसी बीमारी फैली कि गांव के सारे कुत्ते मर गए। गांव वाले फिर फकीर के पास गये और अर्ज की, "हजरत, गांव के सब कुत्ते मर गए, अब कुत्तों के बिना चोरों से गांव की रखवाली कौन करेगा? हम क्या करें?" फकीर ने फिर कहा, "इसमें भी कोई भलाई ही होगी।" 
       उस जमाने में दिया सीलाई नहीं होती थी। गांव में लोग आमतौर पर आग🔥 राख में दबा कर रखते थे। गांव के कुत्ते🐶 मरने के कुछ समय बाद ऐसी जबरदस्त आंधी और बारिश आई कि सारे गांव की आग🔥 एकदम बुझ गयी।
        इस पर लोग और भी दुखी😩 हो गए। लोगों ने फिर फकीर के पास जाकर कहा, "हजरत ! अब तो सारे गांव की आग भी खत्म हो चुकी है। अब क्या करें?" वह कहने लगे, "यह तो मालिक की और भी दया है।" लोगों ने फकीर से पूछा, "हजरत इस मे दया वाली कौन सी बात है जबकि हमारे पास भोजन🍚 बनाने के लिए आग भी नहीं है?"
        फकीर ने कहा, "इंतजार करो और देखते जाओ। मालिक की मौज को समझना इतना आसान नहीं, धैर्य रखो।"
        लोगों ने इस बात को पसंद नहीं किया और दोबारा अर्ज की, हजरत! हमारे हक में प्रार्थना करो। उन्होंने जवाब दिया अच्छा, "एक दिन और ठहर जाओ, फिर अपने-आप पता चल जाएगा।" लोगों ने विश्वास न करते हुए कहा, "चलो चलें, यह तो इसी तरह कहता रहता है।" 
        अभी एक दिन ही गुजरा था कि एक बादशाह कत्लेआम करता हुआ उस गांव के पास से गुजरा तो बोला कि यहां पेड़ तो हैं पर न कुत्ते भौकते है, न हीं मुर्गे बांग देते हैं, न धुआ ही निकलता है। और यहां कोई आबादी नहीं है। छोड़ो इसको, यह कह कर वह गांव के बाहर से ही निकल गया।
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       अब गांव वालों को पता चला कि ऐसा सब कुछ क्यों हो रहा था। वह फकीर के पास गए और सच्चे दिल💓 से उनका शुक्रिया अदा  किया। फकीर ने कहा, "भाइयों, शुक्र है कि आप सब लोग कुशल मंगल हैं, जिन पर मालिक की दया हो उनका कुछ बुरा नहीं हो सकता।"
       इसलिए कहते हैं कि फकीरो की हर बात में रम्ज होती है। जो परमात्मा का हुक्म माने वही उसका असली सेवक है, वही गुरुमुख है।




जब वह बाजार जाता तो एक वैश्या..........

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आप लोगो का खून पानी हो गया है,क्या...
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शनिवार, 20 जुलाई 2019

मूश्किल ही नही नामूमकिन !



        "। मन को वश में करना ।" 

रामचंद्र जी के गुरु वशिष्ट जी ने एक बार रामचंद्र जी से कहा कि अगर कोई कहे कि मैंने हिमालय पहाड़ उठा लिया, मैं दो क्षणों  के लिए मान लेता हूं कि शायद कोई ऐसा व्यक्ति हो, जिसने पहाड़ उठा लिया हो। अगर कोई कहे कि मैंने समुद्र पी लिया, मानने योग्य बात तो नहीं है मगर मैं 2 मिनट के लिए मान लेता हूं कि शायद कोई ऐसा व्यक्ति है जिसने समुद्र को पी लिया हो। अगर कोई कहे कि मैंने सारी दुनिया की हवा को काबू कर लिया है तो यह भी मानने की बात नहीं, मगर मैं एक मिनट के लिए मान लेता हूं। 
           लेकिन अगर कोई कहे कि मैंने मन को वश में कर लिया है तो मैं यह मानने को हरगिज तैयार नहीं।

मन एक ऐसी ताकत है, जो आसानी से वश में नहीं आती।

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 ऐसे हि पांच कहानी,आपको जो पसंद हो 

  1. आत्मशक्ति,            जिसे Himmat lal ने भेजा है ।
  2. जब-जब वह बाजार जाता तो एक वैश्या.... ⇶  इस कहानी को भेजा है,Vishal kumar ने Jharkhand सेे ।
  3. हमारे प्यार का खोखलापन ⇛ Priya Rani ने शेयर किया है
  4. 1 आकाश,1 पृथ्वी,1 चाँद,1 सूरज और 1 इनसान  ⇛ It's My Think.
  5. मैं बात कर रहा हूं मोबाइल, कंप्यूटर,टेबलेट की अगर मैं इन सब चीजों को देखता हूं तो,,





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आखिर आदमी चाहाता किया है?


        "। स्वर्ग नहीं चाहिए ।" 

एक बार का ज़िक्र है, एक महात्मा ने कुछ भजन - बंद गी की। एक दिन भजन ‌‌- बंद गी के बाद उसने घोषणा की कि जो मेरे दर्शन करेगा ,वह सीधा स्वर्ग जाएगा।
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 वह पालकी में बैठकर जा रहा था और बे शुमार स्वर्ग के इच्छुक लोग उसके दर्शन करने आ रहे थे। रास्ते में एक मस्त फकीर बैठा हुआ था, शोर सुनकर उसने पूछा कि यह शोर कैसा है ? किसी ने कहा की एक महात्मा आ रहा है, उसकी घोषणा है कि जो उसके दर्शन करेगा, सीधा स्वर्ग को जाएगा । 少
                            इतना सुनकर फकीर सड़क की ओर पीठ करके, मुंह ढक कर बैठ गया । जब स्वर्ग पहुंचाने वाले महात्मा की पालकी वहां पहुंची तो वह हैरान हो गया कि यह आदमी कौन है जो मुझे देखने की वजह मुंह ढक कर बैठ गया है, जब कि सारी दुनिया मेरे दर्शन के लिए आ रही है । यह सोच कर बोला की


पालकी को खड़ा कर दो । फिर पालकी से उतर कर पूछा, भाई ! क्या हुआ है? फकीर ने उत्तर दिया, "मैं तेरा मुंह नहीं देखना चाहता। मुझे जाना है सचखंड को और तू देता है स्वर्ग। मैं तेरा मुंह क्यों देखूं"। तब पालकी वाले महात्मा ने कहा, "आज से तू मेरा मुर्शिद है।" इसलिए .ख्वाजा हाफिज कहते हैं:
                                 "मैं उसका आशिक हूं। मुझे मोमिन बनने की जरूरत न  मैं न कुफ्र मांगता हूं, न इमान और न जुदाई, न मिलाप।" सच्चे भक्त परमात्मा से परमात्मा को मांगते हैं, स्वर्ग ‌‌‌- बैकुंठ नहीं।
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 संतो का प्रभु से इतना प्रेम होता है कि वे सांसारिक प्रलोभन से अनासक्त रहते हैं । उन्हें तो प्रभु के मिलाप से ही सच्चा सुख मिलता है ।

सोमवार, 15 जुलाई 2019

तब तक उसे कोई सांचा ...............

                          ''घोड़ी की जिद्द''
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एक फकीर का जिक्र है । वह घोड़े पर बैठकर कहीं जा रहा था । उसका एक तालिब यानी शिष्य जंगल में उसकी याद में बैठा हुआ उसके दर्शन के लिए तड़प रहा था ।

फकीर जिधर घोड़ा ले जाना चाहे उधर न जाए, ''वह इधर करें तो घोड़ा उधर चला जाए, ''जब उधर करें तो घोड़ा इधर चला जाए, ''जब घोड़ा अपनी जिद पर अड़ा रहा तो महात्मा बोले, ''अच्छा'' जिधर तेरी मर्जी है ले चल,

तो वह घोड़ा सीधा जंगल की ओर लेकर चल पड़ा और 34 मिल जा कर रुक गया, आगे वह शिष्य बैठा हुआ था । मुर्शीद को देखकर उठ खड़ा हुआ ।

फकीर ने कहा यह सब क्या है ?'' शिष्य ने कहा कि आज मेरा दिल आपके दर्शन के लिए तड़प रहा था ।
सो शिष्य के प्यार में इतनी कशिश होनी चाहिए ।

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2 बेस्ट कहानी  जो आपको पढ़नी थी !

बच्चो को कैसे पढ़ाये,,,,,

           ''कबूतरों द्वारा शिक्षा'' 
 जैसे कोई धातु जब तक पिघल कर पानी ना हो जाए, तब तक उसे कोई सांचा स्वीकार नहीं करता,... इसी प्रकार जब तक शिष्य के अंदर वह सच्ची तड़प और सच्चा प्यार ना हो, तब तक वह मालिक पर्दा नहीं खोलता |

        जीवो को समझने के लिए महात्माओं के अलग- अलग तरीके होते हैं । जिक्र है कि एक बादशाह का लड़का पढ़ाई से जी चुराता था ।
उसको कबूतर रखने का बहुत शौक था एक दिन वहां एक महात्मा आ गए। बादशाह ने कहा, महाराज जी मेरा लड़का पढ़ाई से जी चुराता है और कबूतर का शौक रखता है । इस को हिदायत करो कि यह कुछ पढ़ लिख जाये । ''महात्मा ने बच्चे को बुलाकर पूछा, ''तेरे पास कितने कबूतर है ? ''लड़के ने कहा जी 20 महात्मा ने कहा कि नहीं 100  - 200 रख लो। 
दोनों इनकी उड़ान देखेंगे ।'' लड़के ने कहा जी बहुत अच्छा !जब कबूतर आ गए तो महात्मा ने कहा,''यह तो बहुत सारे है।
इसके नाम रखने चाहिए।'' फिर उनके पर लिखा क, ख, ग, घ  इसी तरह उसको पढ़ना - लिखना सिखा दिया ।

         बच्चों को जबरदस्ती किसी काम या पढ़ाई में लगाने की जगह उसके मन की वृत्ति को अच्छी तरीके से समझ कर के उसके अनुसार ही शिक्षा का प्रबंध करना चाहिए ।
           अब जैसे मैंने भी अपने दीदी के लड़के को पढ़ाने
की कोशिश की, तो हमने यह किया कि वह जहां पर सोता था , जहां पर खेलता था, मैंने उसके सामने कागज में पहाड़े को लिखकर लगा दिया, लेकिन कहा जाता है, बच्चे सुनकर ज्यादा सीख लेते हैं,

उसकी मम्मी, मतलब मेरी दीदी ने कहि की हो गया, तुम्हारे लिखे तो बच्चे पढ़ते ही नहीं,'' और 'बच्चे इन बातों' को सुनकर इन्हें हंसी मजाक में ले लिया,,'' उसकी मम्मी, मेरी दीदी कहती है कि बच्चे को पढ़ाना तुम्हारे बस की बात नहीं है, और बच्चे यह बातें को सुनकर मेरे लिखे गए पन्नों को फारकर फेंक दिया ।
तो हमने भी एक बार नहीं 4 बार चिपकाए,

अगर नहीं हो पाया तो, हमने हेडफोन के माध्यम से रिकॉर्डिंग को सुनाया, जिनसे अंग्रेजी के नए वर्ड बच्चे ने सीख लिया, जो आजकल के बच्चे को भी पता नहीं है । 

जाने दो या जान लगा दो !

''मुर्दा खाने का हुक्म'' 


तू अपनी बुद्धि का सहारा ना लेना बल्कि संपूर्ण मन से प्रभु पर भरोसा रखना उसी को याद करके सब काम करना बस वह तेरा मार्गदर्शन जरूर करेंगे ।

        एक बार गुरु नानक साहिब ने अपने सेवकों को मुर्दा खाने के लिए कहा । देखने में यह मुनासिब हुक्म नहीं था । हम मुर्दा छू जाने पर नहाते हैं । फिर मुर्दा खाए कौन ? एक भाई लहना खड़े रहे, बाकी सब शिश्य चले गए। यह सब को नामुनासिब हुक्म लगा था,
लेकिन भाई लहना को नहीं।
 जब वह मुर्दे के इर्द-गिर्द घूमने लगा तो गुरु साहिब ने उससे पूछा, ''क्या कर रहे हो।
''भाई 
लहना ने उत्तर दिया, ''हुजूर ! मुझे समझ नहीं आ रहा कि मुर्दे को किस तरफ से खाना शुरू करु । जब वह
खाने लगा तो देखता है कि वहां कोई 
मुर्दा नहीं था, बल्कि मुर्दे की जगह उसके सामने गुरु का प्रसाद, मीठा हलवा पड़ा था । गुरु नानक साहिब ने उनको गुरु ‌‌‌- गद्दी का हकदार बना दिया
और वह भाई लहना से गुरु अंगद साहिब बन गए । अंगद का अर्थ है, ''गुरु का अपना अंग या हिस्सा''। इसी तरह जब
गुरु गोविंद सिंह ने अपने शिष्यों की परख की तब 5000 में से सिर्फ पांच प्यारे निकले ।

जब ग्रुरु परखता है तो बड़े-बड़े फेल हो जाते हैं। जीव का इम्तिहान में पास होना बड़ी मुश्किल बात है । गुरु किसी का इंतिहान न ले ।



रविवार, 14 जुलाई 2019

संजीवनी कहानी

                           ''असल विध्वान कौन''
 मैं अपनी मूर्खता भरी बातें करने वाली जबान से महात्मा की भेद भरी बातों को बयान करने की हिम्मत नहीं कर सकता । अगर मैं हिम्मत करूं तो भी बयां नहीं कर सकता ।

Motiwation Quotes

      ''मेंढक और हंस''

      एक  बार  एक  हंस  समुद्र  से  उड़कर  दूसरे  समुद्र  को  जा  रहा
 था । 
रास्ते  में  थक  कर  एक  कुएं  के  किनारे  बैठ  गया  ।  उस कुएं  में  एक  मेंढक  था । 
 उस  मेंढक  ने  पूछा  भाई,  ओ  भाई....  तुम  कौन  हो  और  कहां  से  आए  हो ?'' 
हंस  ने  जवाब  दिया  कि मैं  समुद्र  के  किनारे  रहने  वाला  एक  पक्षी  हूं  और  मोती  चुन कर  खाता  हूं । 
तब  मेंढक  ने  पूछा  कि  समुद्र  कितना  बड़ा  है ? हंस  ने  कहा  बहुत  बड़ा  समुद्र  है । मेंढक  ने  थोड़ी  दूर  पीछे हटकर  कहा  इतना  बड़ा  होगा ? उसने  कहा  नहीं  बहुत  बड़ा है । मेंढक  ने  थोड़ा  सा  चक्कर  लगाकर  पूछा  क्या  इतना  बड़ा  है ।हंस  ने  कहा  नहीं  इससे  भी  कहीं  ज्यादा  बढ़ा  है।
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               मेक  सारे  कुएं  का  चक्कर  लगा  कर  कहने  लगा  कि  क्या  इतना  बड़ा  है। हंस  ने  कहा  की  समुद्र  इससे  भी  कहीं  बड़ा  है । तब  मेक  बोला ''तू  झूठा  है , बेईमान  है। इससे  बड़ा  हो  ही  नहीं  सकता !''

                           जो  बात हमारी  समझ  से  बाहर  होती  है  उसको  हम  मानने  के  लिए तैयार  नहीं  होते  हम  कहते  हैं  कि  बताने  वाला  ही  झूठा  है ।

जब तक पृथ्वी तब तक हम  This is best Story .   https://hiddensole.blogspot.com/2019/07/su-prabhat.html

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मूर्ख को समझाना बेकार    Amazing story   https://hiddensole.blogspot.com/2019/07/blog-post_14.html

गुरुवार, 11 जुलाई 2019

जब तक पृथ्वी तब तक हम


                           सोचो अगर पूरी जिंदगी

 जी हां सोचो अगर पूरी जिंदगी आपको इसी पृथ्वी पर अगर बिताना हो तो आप क्या करेंगे और कैसे करेंगे? क्या आप ग़रीब रह कर जिओगे या अमीर होकर / अगर अमीर हो कर जिओगे तो क्या दूसरों के पैसे को लूट कर अमीर बनेंगे या खुद कमाओगे और अमीर बनेंगे क्योंकि आपको सोच समझकर कदम  

Follow me उठाना है सारी जिंदगी का सवाल है ।
                अब सोचो कि आप कैसे रहोगे कैसे जिओगे, कैसे बोलेंगे, आपने अमृत ले रखा है और आपको मृत्यु लिखी हुई नहीं है तो सोचो कि आप कैसे जिओगे इस धरती पर, अगर वह सोच  को आपने सोच लिया तो फिर आप को कोई नहीं रोक सकता है।
(मीठी आवाज़,ईमानदारी,सच्चाई ये आपको ज़िन्दा रखेगी हमेशा)

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 किसी भी  काम को लेकर कि अगर मैं यह धरती जब तक रहेगी तब तक मैं रहूँगा तो मुझे कैसे जीना है और कैसे रहना है उसके हिसाब से मुझे किस रंग रूप में बदलना है। अगर आपने सोच लिया सही तरीके से डिसीजन ले लिया तो बड़े आदमी बन जाओगे।मुझे पूरी जिंदगी
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इसी धरती पर बितानी है यह सोच के साथ आपने कदम उठाना शुरू कर दिया तो आप इतने अमीर हो जाओगे कि जिसे दिखाना मुमकिन ही नहीं नामुमकिन रह जाएगा फिर आप अपने आप को रोक नहीं सकोगे और आप कोई ना कोई विधि से आप इस धरती के सबसे महान राजा बनेंगे।
              अगर सोचना ही है तो छोटा क्यों ?



 किसी चीज को समझे और फिर आगे बढ़े पहले के युग में सिर्फ और सिर्फ राजा हुआ करते थे,उसी के अनुसार सारी जनता काम करते थे और सभी अपने-अपने घरों में खुश रहते थे अगर आप उस राजा के हिसाब से सोचेगे तो ही आप राजा बन पाओगे अगर आप जनता के हिसाब से सोचों तो आप एक आम जनता ,आम आदमी बन के रह जाओगे तो सोचना है आपको



अपने सोच को सही रखनी है ,महात्मा गांधी , हमारे मोदी जी, ए पी जे अब्दुल कलाम और भी बहुत ऐसे है जो की जब तक धरती रहेगी तब तक उनकी यादें ताज़ा रहेगी......
Please see the movie Road To Sangam  on Gandhi ji https://youtu.be/X4WuWCwwaM0