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गुरुवार, 29 अगस्त 2019

समंदर पार है आपकी इरादे

झूठे वादों की सजा              

अनेक लोग अपने ज्ञान का प्रदर्शन करके अपनी प्रशंसा करवाने का प्रयास करते हैं पर वे धन्य हैं जिन्होंने प्रभु प्रेम के लिए अपने मन को अन्य सभी इच्छाओं से खाली कर दिया है।

          जिक्र है कि बुल्लेशाह बड़ा आलिम-फाजिल था। 40 साल की खोज की, बहुत से शास्त्र और धार्मिक किताबें पढ़ी, अनेक महात्माओं और नेक लोगों से वार्तालाप की लेकिन कुछ हासिल ना हुआ। आखिर उसको एक मित्र ने जो परमार्थ में काफी आगे था और जिसे बुल्लेशाह की हालत का ज्ञान था, कहा,"भाई साहब, किताबों से क्यों माथा-पच्ची करते हो, यह सब बेकार है। इनायत शाह के पास जाओ। शायद वे परमार्थि खोज में तुम्हारी मदद कर सकें।'' जब उनके पास गया, उन्होंने रास्ता बताया तो अंदर पर्दा खुल गया। पर्दा तो खुला ही था, क्योंकि अंदर प्रेम था। 

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                             जब पर्दा खुला तो उसने भी कार्य किये, जिनको बाहर की आंखे रखने वाले अनुचित समझते हैं क्योंकि म***** और काज़ी तो शरीयत को ही परमार्थ समझते हैं पर सच्चे या आंतरिक भेद के बारे में वे बिलकुल बेखबर है । जब शरीयत वाले लोगों ने सुना तो कहा की  यह कुफ्र कर रहा है। इस पर फतवा लगाना चाहिए। सारे इकट्ठा होकर बुल्ले शाह के पास गया और कहा कि तुम ऐसी बातें करते हो जो शरीयत के विरुद्ध है । क्या आप अपने पक्ष में कुछ कहना चाहते हो ?
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परमार्थ में इल्म कि नहीं, और अमल की जरूरत है ।



मेला नाम विक्लाम है,आपका नाम क्या है ।






यहाँ देखने का  भी पैसा लगता है, सामान खरीदना है की सिर्फ  देखना है , देख लेना अगले दिन ,,, ज्यादा भीर मत लगाओ  ,, 









                       
  
  आज अगर लेट करेंगे,तो कल भी आप लेट ही रहेंगे, !


उठाओ कैमरा दिखा दो दुनिया को"" कि आपमे भी कुछ बात है ।



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