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रविवार, 21 जुलाई 2019

बातों को पूरी तरीके से समझना ही, समझदारी है

"। फकीर को गांव वालों की नसीहत ।" 

उत्तरी भारत के एक गांव में एक बुजुर्ग फकीर रहते थे। गांव के लोग अक्सर उन से सलाह लेने जाते थे। उस गांव में अचानक एक बीमारी फैल गई और गांव के सारे मुर्गे ‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌- मुर्गियां और चूजे मर गए। 🐣
    गांव वाले फकीर के पास गए और कहा, "हजरत, हमारे गांव के सब मुर्गे - मुर्गियां🐔 और छोटे-छोटे चूजे🐣 तक मर गए हैं, हम क्या करें ?
         
    फकीर ने केवल इतना ही कहा, "अच्छा हुआ, इसी से भलाई है।" कुछ दिनों बाद, कुछ ऐसी बीमारी फैली कि गांव के सारे कुत्ते मर गए। गांव वाले फिर फकीर के पास गये और अर्ज की, "हजरत, गांव के सब कुत्ते मर गए, अब कुत्तों के बिना चोरों से गांव की रखवाली कौन करेगा? हम क्या करें?" फकीर ने फिर कहा, "इसमें भी कोई भलाई ही होगी।" 
       उस जमाने में दिया सीलाई नहीं होती थी। गांव में लोग आमतौर पर आग🔥 राख में दबा कर रखते थे। गांव के कुत्ते🐶 मरने के कुछ समय बाद ऐसी जबरदस्त आंधी और बारिश आई कि सारे गांव की आग🔥 एकदम बुझ गयी।
        इस पर लोग और भी दुखी😩 हो गए। लोगों ने फिर फकीर के पास जाकर कहा, "हजरत ! अब तो सारे गांव की आग भी खत्म हो चुकी है। अब क्या करें?" वह कहने लगे, "यह तो मालिक की और भी दया है।" लोगों ने फकीर से पूछा, "हजरत इस मे दया वाली कौन सी बात है जबकि हमारे पास भोजन🍚 बनाने के लिए आग भी नहीं है?"
        फकीर ने कहा, "इंतजार करो और देखते जाओ। मालिक की मौज को समझना इतना आसान नहीं, धैर्य रखो।"
        लोगों ने इस बात को पसंद नहीं किया और दोबारा अर्ज की, हजरत! हमारे हक में प्रार्थना करो। उन्होंने जवाब दिया अच्छा, "एक दिन और ठहर जाओ, फिर अपने-आप पता चल जाएगा।" लोगों ने विश्वास न करते हुए कहा, "चलो चलें, यह तो इसी तरह कहता रहता है।" 
        अभी एक दिन ही गुजरा था कि एक बादशाह कत्लेआम करता हुआ उस गांव के पास से गुजरा तो बोला कि यहां पेड़ तो हैं पर न कुत्ते भौकते है, न हीं मुर्गे बांग देते हैं, न धुआ ही निकलता है। और यहां कोई आबादी नहीं है। छोड़ो इसको, यह कह कर वह गांव के बाहर से ही निकल गया।
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       अब गांव वालों को पता चला कि ऐसा सब कुछ क्यों हो रहा था। वह फकीर के पास गए और सच्चे दिल💓 से उनका शुक्रिया अदा  किया। फकीर ने कहा, "भाइयों, शुक्र है कि आप सब लोग कुशल मंगल हैं, जिन पर मालिक की दया हो उनका कुछ बुरा नहीं हो सकता।"
       इसलिए कहते हैं कि फकीरो की हर बात में रम्ज होती है। जो परमात्मा का हुक्म माने वही उसका असली सेवक है, वही गुरुमुख है।




जब वह बाजार जाता तो एक वैश्या..........

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