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सोमवार, 8 जुलाई 2019

Vikrant kumar

                                           ☝️

अपने दिमाग को एक बादल की तरह मानो पूरे आकाश में बादल कभी इधर से उधर कभी उधर से इधर चलता रहता है, अगर उसे सही डायरेक्शन दे दिया जाए तो जिस जगह पर बारिश की कमी है उस जगह पर बारिश करवा सकते है । उसी प्रकार से अपने दिमाग को भी सही डायरेक्शन मिल जाए तो यह दिमाग आपको कुछ नया करके दिखाएगा उस डायरेक्शन को समझाना पड़ता है और उस डायरेक्शन से चलना पड़ता है ।

दिन में सोचो- रात में सोचो सुबह में सोचो या शाम को सोचो जब- जब टाइम मिले तब-तब सोचो लेकिन सोचने से कुछ नहीं मिलेगा सोच कर के कदम उठाओ और अपने काम को लेकर सीरियस बनो और उस काम को पूरा करके दिखाओ ।


अपनी जिम्मेदारी को समझो जिम्मेदारी किसी और पर छोड़ी नहीं जाती बल्की जिम्मेदारी ली जाती है दूसरे की जिम्मेदारी खुद लो और उसे पूरा करके दम लो ।👆


पेट भर के खाना खाओ अब यह नहीं कि हमेशा ही खाते रहो टाइम के
अनुसार खाओ और पेट भर के खाओ क्योंकि जब तक आप पेट भर के खाना नहीं खाओगे तो आप सीधा नहीं रहोगे ,आपकी पीठ की रीड की हड्डी सीधी नहीं रहेगी तो आपको किसी भी काम में मन नहीं लगेगा , चाहे आप अपने अंदर सोचोगे ही क्यों नहीं लेकिन आप नेगेटिव सोचोगे इसीलिए हमेशा सीधा बैठो सीधा चलो अपने सीने को हमेशा ऊंचा करके चलो ।

जो स्थिति आपके साथ में चल रही है आप उस स्थिति को चेंज कर सकते हो  जैसे अगर आप कहीं जा रहे हो और रास्ते में पानी पड़ना शुरू हो गया तो आप बारिश के बारे में सोचोगे कि मैं बारिश को रोक दूंगा तो यह मुमकिन नहीं हो सकता आप अपने को रेनकोट से ढकलीजिए फिर चलिए |
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खुद पर काम करना जरूरी होता है ।

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